रविवार, 16 फ़रवरी 2020

हम होंगे कामयाब

                          हम होंगे कामयाब
                    "हम होंगे कामयाब एक दिन........" दिल्ली का चुनाव जीतने के बाद राम लीला मैदान में शपथ ग्रहण करने के बाद अरविंद केजरीवाल का यह गाना राम आसरे को भीतर से नाभिकीय संलयन होने जैसा महसूस करा रहा था।राम आसरे के अंदर का नेता बाहर आने को तड़प रहा था कि इतने में पिताजी जोर से पादते हुए दूसरी ओर करवट बदल लिए। पाद की ध्वनि का डेसीबल इतना था कि राम आसरे के भीतर बैठा नेता डर के मारे कांप उठा।राम आसरे अपने भीतर के नेता को ढूंढने की कोशिश करने लगा,पर वह नहीं मिला।
                         राम आसरे के पिताजी का यह कृत्य केजरीवाल को यह संकेत था कि आप कामयाब हो सकते हो आपकी पार्टी "आप" कामयाब हो सकती है,परंतु आप जैसों के कथन से देश के भीतर उठने वाली प्रेरणा अस्थाई भाव वाली है जो पाद बराबर है।पिताजी के पूरे जीवन का अनुभव पाद के रूप में ध्वनित हुआ था।
                         राम आसरे पाद के इस मर्म को समझ नहीं पाया और पाद की विषाक्तता के कारण घर से बाहर निकल आया।बाहर निकलने पर उसे कामयाब होने जैसी फीलिंग आयी।जोर की सांस लेकर राम आसरे ने खुद को नॉर्मल किया।आगे बढ़ा तो देखा कि नीहोंर अपनी टोली के साथ ताश खेल रहा है।राम आसरे को कामयाब होने के लिए मैदान मिल चुका था।फिर क्या था माहौल चप गया,दे बाज़ी पे बाज़ी।
                          राम आसरे का परफॉर्मेंस आज बेहद अच्छा था।आज उसने पिपक्ष को अच्छी पटखनी दी थी।रोज हार खाने वाला राम आसरे आज मैदान मार चुका था।सब आश्चर्य चकित थे।खेल समाप्त हुआ,सब घर की ओर चल दिए।राम आसरे इस उपलब्धि पर इतराता हुआ "हम होंगे कामयाब" गाता हुआ चला जा रहा था.....रुका तो देखा कि सामने लिखा था.......ठहरिए यही है मधुशाला।
                     

  More Hours, Less Output? Unpacking the Flawed Economics of the 70-Hour Work Week A recent proposal from Infosys Founder Narayan Murthy has...