मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

Happy New Year

                      Happy New Year

‌           रामआसरे पिछले दो दिन से पढ़ाई पर  फ़ोकस किये थे।रामआसरे के पिताजी आश्चर्यचकित थे।घर वालों को कपूत सपूत होते नज़र आया।रामआसरे पिताजी का चरणस्पर्श करते हुए नव वर्ष की बधाई दी।पिताजी अचकचाते हुए रामआसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद दिये।दरअसल इसतरह की औपचारिकता पिता पुत्र में गॉंवों में नहीं पाई जाती।इसीलिये पिताजी थोड़ा अकबका गए थे।
‌             रामआसरे पिताजी का मूँड़ भाँपते हुए अपना डिमांड दाग दिए।" B.E.O. का फॉर्म भरना है,तो पैसे चाहिए थे।सोच रहा हूँ कोचिंग भी कर लूँ।"रामआसरे ने पिताजी से कहा।
‌पिताजी : ई B.E.O.का है।
‌रामआसरे को इतने तफ्तीश की संभावना नही थी।खुद को संभालते हुए बोला।अरे वो निहोर बता रहा था कि खंड शिक्षा अधिकारी की वैकेंसी आयी है,तो सोच रहा हूँ मेहनत कर रहा हूँ तो अप्लाई कर दूं।
‌        रामआसरे के पिताजी को सपूत फिर कपूत नजर आने लगा।पिता होने के नाते क्षण भर में सारा माजरा समझ गए।क्रोध की पराकाष्ठा में बोले,"मादर...  शिक्षा का तो वैसे ही खंड-खंड हुआ है।अब तुम खण्ड शिक्षा अधिकारी बनकर और कितना खंड करोगे। अरे भों....... के पहले इण्टर तो पास कर लो।"
‌       रामआसरे को समझते देर न लगी कि निहोर से उसको गलत जानकारी मिल गई है।निहोर ने ही बताया था कि कोई इस तरह का फॉर्म आया है।उसके आगे रामआसरे जानने की कोशिस इसलिये नहीं किये थे क्योंकि उन्हें अपनी क्षमता पता थी।पिताजी इतनी तफ़्तीश करेंगे इसका भी अंदाजा नहीं था।दो दिन से माहौल इसलिए बना रहे थे कि कुछ पैसे ऐंठ लिए जाएं जिससे न्यू ईयर को" हैप्पी" किया जा सके।
‌        रामआसरे न्यू ईयर को सैड करने के मूड में नहीं था।तुरंत पिताजी के सामने से अदृश्य हो गया।अभी तक प्रकट नहीं हुआ है।देखिए.....कहाँ प्रकट होते हैं।फ़िलहाल रामआसरे के पिताजी घोषणा कर चुके हैं कि कोई भी रामआसरे को उधार देता है तो अपनी जिम्मेदारी पर दे।
‌          रामआसरे के कानपुर में प्रकट होने की संभावना को देखते हुए मैं तो प्रयागराज निकल लिया हूँ।


सोमवार, 30 दिसंबर 2019

हर पल यहाँ जी भर जिओ

 
 
             रामआसरे घर से निकलकर 'बनिऔटी' पहुँचा तो देखा कि उसके दोस्त लोग पहले से ही वहाँ उपस्थित थे।बनिऔटी गांव की ऐसी जगह होती है जहाँ वणिक लोंगो के घर हुआ करते हैं और उसी घर में दुकानें भी हुआ करती हैं।गाँव में यही शॉपिंग हब हुआ करते हैं जहाँ रोजमर्रा की वस्तुएं लगभग मिल जाया करती है।
          निहोर जो रामआसरे का यार था,वह भी वहाँ उपस्थित था।जब से व्यवहार में अंडरवेयर आया है तब से दोस्त यार ही हुआ करते हैं, 'लंगोटिया यार' की संकल्पना लंगोट के साथ ही विलुप्त हो गई है।पहले ब्रांड नही था।इसलिए लंगोटिया यार को कहावत में स्वीकृति मिल गई।कहीं कोई विरोध नहीं हुआ।आज यदि 'जॉकी यार' जैसे शब्द प्रयोग किये जांय तो अन्य ब्राण्ड के लोग विरोध पर उतर आएंगे।जॉकी यार कहने पर वंचित समाज के दोस्त और वंचित महसूस करेंगे।खैर,रामआसरे को देखते ही निहोर के भीतर का यारबाज जागा।रामआसरे का जोरदार स्वागत करते हुए निहोर ने कहा,"का दोस्त इसबार हैप्पी न्यू ईयर का क्या प्लान है?"गाँव के लोग हैप्पी को न्यू ईयर और बर्थडे से ऐसा चिपका दिए हैं कि उसे अलग करके नहीं बोलते।रामआसरे ग्रुप लीडर बनते हुए बोला,"हमारा तो रोज हैप्पी न्यू ईयर होता है।प्लान क्या करना है।"निहोर ने कहा,"अरे यार हैप्पी न्यू ईयर पर पार्टी होती है।रोज कहाँ पार्टी होती है।"रामआसरे ने कहा,"अबे तो करलो पार्टी।मँगावो जो खाना-पीना हो।"फिर क्या था पार्टी जम गई।
          रामआसरे घर से दाल लेने निकले थे।जब घर लौट रहे थे तो काली पॉलिथीन में एक पाव दाल लिए थे।रास्ते में एक बच्चा मिला तो पॉलीथिन उसे पकड़ाते हुए रामआसरे ने कहा कि जाओ इसे मेरी माँ को दे देना।रामआसरे की माँ इस एक पाव दाल से सप्ताह भर घर के लोंगो के लिए दाल बनाएंगी।
          रामआसरे लक्ष्यहीन "हर-पल यहाँ जी भर जिओ"गुनगुनाते हुए बढ़ा जा रहा था।रामआसरे इस "कनजूमिंग सेंस" को परंपरावादी बनते हुए गाँव के लोंगो से सीखा था जिसके मूल में 'यावतजीवेत घृतं पीवेत' की अवधारणा व्याप्त थी।
            

सोमवार, 23 दिसंबर 2019

लेबर चौराहा

                             लेबर चौराहा
           
                रामआसरे भोजपुरिया हीरो की तरह तैयार होकर बुलेट पर सवार  'देवी दर्शन' हेतु शहर की ओर चल पड़ा।रामआसरे के पिताजी केवल धक-धक की आवाज ही सुन पाए थे जो 'डॉप्लर इफेक्ट' के कारण कम होती जा रही थी।"आज उनसे मिलना है हमें" नामक निर्गुण रामआसरे गुनगुनाते हुए तीव्र गति से लक्ष्य की ओर बढ़ा जा रहा था।आत्मा,आत्मा से मिलकर परमात्मा होने को बेचैन थी।
            सहसा भीड़ देखकर रामआसरे चौंका और बुलेट को किनारे लगा दिया।उसे लगा कि देवी दर्शन का उद्देश्य सबको पता चल गया है।रामआसरे की आंखों के सामने पिछली बार कूटे जाने का दृश्य उभर आया।देखते ही देखते बीसों लोग रामआसरे को घेरकर खड़े हो गए।रामआसरे अंदर तक हिल चुका था।तब तक भीड़ में से आवाज आई "भैया हम सब काम कर लेते हैं,ईंटा-गारा,खेती-बारी, झाड़ू-पोंछा सब।आपके यहाँ क्या काम है।"
          रामआसरे की जान में जान आईं, परंतु यह सब इतनी शीघ्रता में हुआ कि रामआसरे जान में जान आने का साक्षात नहीं कर पाए।इसप्रकार दुनिया के सामने  यह रहस्य आज भी बरकरार है कि जान ,जान में से किस प्रकार जाती है और पुनः कैसे वापस आती है।रामआसरे को यह समझ में आ गया कि वह लेबर चौराहे पर खड़ा है और जिससे वह घिरा है वह सब लेबर हैं।
             इंसान की यह हालत देखकर रामआसरे द्रवित हो गया।आदमी बिक रहा था।सब के चेहरे पर भावशून्यता थी।व्यवस्था के प्रति रामआसरे के मन में गहरा असंतोष उतपन्न हुआ,क्रांति का भाव जागृत हुआ।मन हुआ कि इसी बुलेट पर मार्क्सवाद,लेनिनवाद,माओवाद,नक्सलवाद सबको बैठाकर पूरी व्यवस्था को रौंदकर सम करके साम्यवाद की स्थापना कर डाले।पर इतिहास में बुलेट पर सवार होकर किसी प्रकार की क्रांति का उदाहरण न पाकर उसने स्वयं की भावनाओं पर नियंत्रण कर लिया।क्रांति का विचार स्थगित हो गया।
              बुलेट आगे बढ़ी।बुलेट की धक-धक रामआसरे अपने सीने में महसूस कर रहा था। लेबर चौराहे के दृश्य से रामआसरे के भीतर उपजी कभी न नष्ट होने वाली अशांति, देवी दर्शन की कल्पना से बौद्ध दर्शन के क्षणिकवाद में परिवर्तित हो गई।
           

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019


   नागरिकता संशोधन बिल
        रामआसरे जुम्मन मियाँ के चिलम से कश पर कश मारे जा रहे थे कि तभी सूचना मिली कि नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में शहर में दंगा हो गया है।रामआसरे का यज्ञ सम्पन ही होने वाला था कि यह विघ्न।जुम्मन मियाँ का चिलम गंगा जमुनी तहजीब का एक प्रतीक था,जिसके लिए सभी धर्म एवं जाति के लोग एकत्रित होते थे।
                रामआसरे अर्द्ध नशे में जुम्मन मियाँ की बेटी, जो दरवाजे की ओट से रामआसरे को देख रही थी,को देखकर सरकार के विरोध में संक्षिप्त परंतु प्रभावपूर्ण भाषण उड़ेल दिया।जुम्मन मियाँ की बेटी के होंठो की थरथराहट और शरमाकर नजरें नीची कर लेना इस बात का प्रतीक था कि रामआसरे मैदान मार चुका था।आज पहली बार हुआ था जब रामआसरे सरकार के विरोध में कुछ बोला था।
              दरअसल रामआसरे आज विभिन्न धर्मों में निहित सारतत्त्व 'एकत्व' को जुम्मन मियाँ की बेटी के साथ एकाकार होकर महसूस करना चाह रहा था।पर इस बिल ने सब चौपट कर दिया।बिल पर गरमा गरम बहस चिलम के तेज में तेज हो गई। इस बिल से दोनों धर्म एक साथ प्रभावित हुआ।जुम्मन मियाँ की बेटी बाहर बैठी गोष्ठी के लंबे चलने से चिंतित हो गई,रामआसरे भी निराश हो गया।
             इतने में रामआसरे के पिताजी का भी पदार्पण हो गया।वैसे तो रामआसरे के पिताजी सरकार के विरोध में ही खड़े दिखाई देते थे ,परंतु रामआसरे के लक्ष्य को भाँपकर आज पैतरा बदल दिए और सरकार के समर्थन में पिल पड़े।जुम्मन मियाँ की बेटी को यह सब नागवार गुजरा।उसने नाराज़ नजरों से रामआसरे की ओर देखा।रामआसरे को एकाकार का लक्ष्य दूर होता नजर आया।पिताजी के आ जाने से रामआसरे कई कश में लोंगो का साथ नही दे पाया था।पिताजी के आ जाने और फूंक न मारने का सम्मिलित असर था जिसके कारण उसका भाषण पुच्छ कशेरुक से जा चिपका था जो बहुत कोसिस के बाद भी बाहर नहीं निकल पा रहा था।जुम्मन मियाँ की बेटी की नाराज़ नजरों से रामआसरे के अंदर का कामदेव जागृत हुआ और उसने पिताजी को असहिष्णु,पुरातनपंथी तथा कट्टर हिन्दू करार कर दिया।फिर क्या था चिलम बड़ी की बोतल।जंग छिड़ गई।शहर का दंगा बग़ैर माध्यम के गावँ में प्रसारित हो गया।
                "डायल 100" तथा पुलिस वैन से गांव के 19 लोंगो को थाने ले जाया जा रहा था।रामआसरे भी इसमें पिताजी के साथ शामिल थे।रामआसरे की बहुत इच्छा हो रही थी कि एक बार जुम्मन मियाँ की बेटी को ओझल होने से पहले देख लें,पर इतने कूंटें गए थे कि दरवाजे की ओट में खड़ी जुम्मन मियाँ की बेटी को देखने की हिम्मत नही जुटा पा रहे थे।

शनिवार, 7 दिसंबर 2019

नागिन डांस...

नागिन डांस....

           विवाह प्रांगण में जब रामआसरे का प्रवेश हुआ तो उस समय डीजे पर गाना बज रहा था,"गोरी तोरी चुनरी ब लाल-लाल रे....."।रामआसरे का मन पहुँचते ही कमरतोड़ डांस करके ऐसा पुष्प बनने का था जिस पर सभी तितलियां रसपान करने को मर मिटे।परन्तु सामने रामआसरे के पिताजी दिख गए।रामआसरे के कमर तोड़ने की असीम इच्छा टूटती नजर आई।
         पिताजी रामआसरे की ओर मुखातिब हुए और बोले, "देखो गाँव घर की शादी है जिम्मेदारी से रहना,नाक न कटे।"रामआसरे अपने पुण्य कर्मों से पिताजी की नाक कई बार कटवा चुके थे।पिताजी की नाक भी पुनरुद्भवन की शक्ति प्राप्त थी,कटने के बाद फिर उग आती थी।इसी उगे हुए नाक को पिताजी संरक्षित करने की कोशिस कर रहे थे और रामआसरे को आदेशित कर रहे थे।पिताजी के आदेश और सरकारी आदेश में कोई फर्क नही था,सो रामआसरे इस आदेश का अनुपालन न करने को अभिशप्त थे।
        रामआसरे काफी देर तक इधर उधर घूमता रहा,समय नही कट रहा था।उसको अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का अवसर नहीं मिल रहा था।पिताजी के सामने कमर तोड़ डांस का मतलब वास्तविक रूप से कमर टूटना।समय काफी हो गया।तितलियाँ लगभग जा चुकी थीं।रामआसरे घूमते- टहलते खाने के लिए लगे स्टाल की ओर चला गया।रामआसरे अन्यमनस्क सा खड़ा था कि सामने से पिताजी आ गए और रामआसरे की तरफ हाथ जोड़कर कहा कि, "भाईसाब खाना खाकर जाइएगा।"रामआसरे चौंका पर जल्द ही समझ गया कि पिताजी फुल्ली टल्ली हैं और उस अवस्था को प्राप्त हो गए हैं जहाँ जीव भेद समाप्त हो जाता है।रामआसरे मन की गति से उड़ा और सीधे डांस फ्लोर पर लैंड हुआ।डीजे में नागिन धुन चल रहा था,रामआसरे की सारी कोशिकाएं क्षण भर में सपोले से नाग नागिन में तब्दील हो चूंकि थी।आज वास्तव में रामआसरे कमर तोड़ डालने को आतुर लग रहा था।पिताजी के हटने का इंतजार करते-करते रामआसरे कई पेग गले के नीचे उतार चुका था,नागिन बनते ही सारे शरीर में एल्कोहल जहर की भांति फैलने लगा था।काफी रात हो जाने के कारण डीजे बंद करने का आदेश हुआ,उधर डीजे बंद हुआ इधर रामआसरे गस्त खाकर गिर पड़े जैसे जो ईंधन डाल रखा था वो खत्म हो गया हो।
         पिताजी सुबह उठे तो उन्हें अपनी नाक कटी मिली,समझ गए कि रामआसरे फिर कोई पुण्य काम कर बैठे हैं।
 

           

  More Hours, Less Output? Unpacking the Flawed Economics of the 70-Hour Work Week A recent proposal from Infosys Founder Narayan Murthy has...