शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

पतंग जिसे हम डोर के सहारे उड़ाते हैं....कभी गौर करिये,हमारे द्वारा ही यह भी तय कर दिया जाता है कि वह कितना ऊँचा उड़ेगा।उड़ाते भी हैं हम और उसे और ऊँचा उड़ने से रोकते भी हैं।
       

11 टिप्‍पणियां:

  1. संतुलित जीवन के डोर की बानगी! ब्लॉग की दुनिया में स्वागत।

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  2. सच्चाई यही है! बहुत खूब मामा!

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  3. इस पर एक और बात मुझे याद आई मामा, "कटी पतंग की डोर मेरे घर के जानिब थी मगर उसे भी लूट लिया बड़े हाथ वालों ने!

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