मौनी अमावस्या
मिसराइन काकी ने इस बार छोटकी के साथ मौनी अमावस्या का स्नान करने का विचार बनाया। मिसराइन की उम्र ज्यादा हो चली थी,सहारे के लिए उनकी पोती छोटकी साथ जा रही थी। मिसराइन का घर राम आसरे के पड़ोस में ही था। रामआसरे छोटकी के जाने की सूचना पर कुलबुला रहे थे।बहुत प्रयास करने के बाद भी पिताजी साथ ले जाने को तैयार न हुए।रामआसरे ने निहोर के साथ बस से जाने का प्लान बनाया।
छोटकी कानूनन वयस्क होने की दहलीज पर थी,पर समाज की नजर में वह दहलीज कब की पार कर चुकी थी।सुबह जब बोलेरो पर सब बैठने लगे तो राम आसरे के पिताजी सीटिंग प्लान सेट कर रहे थे कि छोटकी के बगल में बैठें।सर्वसम्मति से तय हुआ कि रामआसरे के पिताजी सबसे बुजुर्ग हैं,उन्हें आगे बैठाया गया।राम आसरे के पिताजी को अपने बुजुर्ग होने पर बहुत अफसोस हुआ। बोलेरो प्रयाग राज के लिए निकल ली।
रामआसरे भी घंटा भर पहले नीहोर के साथ बस पकड़ चुका था।बस में गाना बज रहा था...
आज उनसे मिलना है हमें....।
रामआसरे पहली बार प्रयागराज जा रहा था।निहोर अपनी मां का इलाज कराने प्रयागराज जा चुका था,इस कारण अनुभव को नेतृत्व मिला।बस सिविल लाइन पहुंची,राम आसरे नीहोर के पीछे हो लिया। गांव में हमेसा रामआसरे ही आगे होता था,पर यहां उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,एकदम भौचक्का था। इतना बड़ा शहर पहली बार रामआसरे देख रहा था।जब कुंभ मेला में पहुंचा तो दृश्य देखकर एकदम सन्न था।मेला का मतलब वह गांव का मेला समझा था। मन में यही सोच रहा था छोटकी कहां मिलेगी इस भीड़ में।भीड़ में चलता रहा,निगाहें छोटकी को तलाश रही थी।पूरा मेला घूम डाला छोटकी कहीं न दिखी।तय हुआ कि स्नान कर लिया जाय।पहले निहोर गया।राम आसरे कपड़े की रखवाली कर रहा था।नीहोर स्नान करके आया।अब राम आसरे की बारी थी।
राम आसरे महसूस कर रहा था कि उसका आत्मविश्वास काफी कम हो गया है,भीड़ में जैसे उसकी निर्णयन क्षमता कम हो गई थी।राम आसरे ने तय किया कि गंगा में सात डुबकी लगाएगा।पता नहीं क्यूं उसको लग रहा था पांच डुबकी में बात नहीं बन पाएगी।परंतु,ठंड के कारण टारगेट पूरा नहीं हो पाया।पांच डुबकी में ही उसकी सांसे थमने लगी।प्रत्येक डुबकी में गंगा मैया से यही प्रार्थना करता कि छोटकी मिल जाय।बाहर निकला तो समझ नहीं पा रहा था कि निहोंर कहां खड़ा है।इधर उधर सब जगह ढूंढ़ मारा, पर नीहोंर नहीं मिला।रामआसरे चढ्ढी में ठंड से कांप रहा था।समय बीतने के साथ राम आसरे पागल हुआ जा रहा था।छोटकी का विचार मन से गायब था।"हे नीहोंर भैया" दोहराते हुए पागलों की भांति नीहोंर को ढूंढ़ रहा था।पहली बार नीहोर को 'भैया' से संबोधित कर रहा था। एकदम दहाड़ मारकर रोने ही वाला था कि छोटकी दिख गई।
राम आसरे जैसे डूब रहा था,डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। एकदम भावुक होकर दौड़कर छोटकी से लिपटकर रोने लगा।छोटकी राम आसरे को देख नहीं पाई थी,अकबकाकर चिल्ला पड़ी।फिर क्या था,भीड़ ने वही किया जो अक्सर वह करती है।
मिसराइन काकी ने इस बार छोटकी के साथ मौनी अमावस्या का स्नान करने का विचार बनाया। मिसराइन की उम्र ज्यादा हो चली थी,सहारे के लिए उनकी पोती छोटकी साथ जा रही थी। मिसराइन का घर राम आसरे के पड़ोस में ही था। रामआसरे छोटकी के जाने की सूचना पर कुलबुला रहे थे।बहुत प्रयास करने के बाद भी पिताजी साथ ले जाने को तैयार न हुए।रामआसरे ने निहोर के साथ बस से जाने का प्लान बनाया।
छोटकी कानूनन वयस्क होने की दहलीज पर थी,पर समाज की नजर में वह दहलीज कब की पार कर चुकी थी।सुबह जब बोलेरो पर सब बैठने लगे तो राम आसरे के पिताजी सीटिंग प्लान सेट कर रहे थे कि छोटकी के बगल में बैठें।सर्वसम्मति से तय हुआ कि रामआसरे के पिताजी सबसे बुजुर्ग हैं,उन्हें आगे बैठाया गया।राम आसरे के पिताजी को अपने बुजुर्ग होने पर बहुत अफसोस हुआ। बोलेरो प्रयाग राज के लिए निकल ली।
रामआसरे भी घंटा भर पहले नीहोर के साथ बस पकड़ चुका था।बस में गाना बज रहा था...
आज उनसे मिलना है हमें....।
रामआसरे पहली बार प्रयागराज जा रहा था।निहोर अपनी मां का इलाज कराने प्रयागराज जा चुका था,इस कारण अनुभव को नेतृत्व मिला।बस सिविल लाइन पहुंची,राम आसरे नीहोर के पीछे हो लिया। गांव में हमेसा रामआसरे ही आगे होता था,पर यहां उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,एकदम भौचक्का था। इतना बड़ा शहर पहली बार रामआसरे देख रहा था।जब कुंभ मेला में पहुंचा तो दृश्य देखकर एकदम सन्न था।मेला का मतलब वह गांव का मेला समझा था। मन में यही सोच रहा था छोटकी कहां मिलेगी इस भीड़ में।भीड़ में चलता रहा,निगाहें छोटकी को तलाश रही थी।पूरा मेला घूम डाला छोटकी कहीं न दिखी।तय हुआ कि स्नान कर लिया जाय।पहले निहोर गया।राम आसरे कपड़े की रखवाली कर रहा था।नीहोर स्नान करके आया।अब राम आसरे की बारी थी।
राम आसरे महसूस कर रहा था कि उसका आत्मविश्वास काफी कम हो गया है,भीड़ में जैसे उसकी निर्णयन क्षमता कम हो गई थी।राम आसरे ने तय किया कि गंगा में सात डुबकी लगाएगा।पता नहीं क्यूं उसको लग रहा था पांच डुबकी में बात नहीं बन पाएगी।परंतु,ठंड के कारण टारगेट पूरा नहीं हो पाया।पांच डुबकी में ही उसकी सांसे थमने लगी।प्रत्येक डुबकी में गंगा मैया से यही प्रार्थना करता कि छोटकी मिल जाय।बाहर निकला तो समझ नहीं पा रहा था कि निहोंर कहां खड़ा है।इधर उधर सब जगह ढूंढ़ मारा, पर नीहोंर नहीं मिला।रामआसरे चढ्ढी में ठंड से कांप रहा था।समय बीतने के साथ राम आसरे पागल हुआ जा रहा था।छोटकी का विचार मन से गायब था।"हे नीहोंर भैया" दोहराते हुए पागलों की भांति नीहोंर को ढूंढ़ रहा था।पहली बार नीहोर को 'भैया' से संबोधित कर रहा था। एकदम दहाड़ मारकर रोने ही वाला था कि छोटकी दिख गई।
राम आसरे जैसे डूब रहा था,डूबते को तिनके का सहारा मिल गया। एकदम भावुक होकर दौड़कर छोटकी से लिपटकर रोने लगा।छोटकी राम आसरे को देख नहीं पाई थी,अकबकाकर चिल्ला पड़ी।फिर क्या था,भीड़ ने वही किया जो अक्सर वह करती है।
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