सोमवार, 20 जनवरी 2020

बेरोजगारी का कारण और सरकारी प्रयास


प्रश्न- भारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण क्या है ?इसको दूर करने हेतु सरकार द्वारा क्या प्रयास किया जा रहा है?
उत्तर-  जब व्यक्ति प्रचलित मजदूरी पर कार्य करने को तैयार हो फिर भी उसे कार्य ना मिले तो ऐसे लोगों को बेरोजगार की संज्ञा दी जाती है। बेरोजगारी स्वयं में समस्या होकर यह कई समस्याओं का कारण भी है। यही कारण है कि इसे गंभीरता से लिया जाता है।
        बेरोजगारी के लिए कोई एक अकेला कारण जिम्मेदार नहीं यह कई कारणों के सम्मिलित प्रभाव का परिणाम है। आधारभूत संरचना की कमी, जनसंख्या का विशाल आकार,अकुशल श्रम, तकनीकी शिक्षा की कमी, पूंजी गहन तकनीकों का प्रयोग, लोगों में जागरूकता की कमी, आराम पसंदगी आदि ऐसे कारण हैं जो बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में बेरोजगारी की वर्तमान दर लगभग 9% प्रतिशत हैं। यह एक गंभीर स्थिति है ।बेरोजगारी से कई प्रकार की मनोसामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
       नियोजन काल के प्रारंभ में यह स्वीकार किया गया था कि यदि समृद्धि को बढ़ाया जाए तो गरीबी बेरोजगारी आदि समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाएंगी।इसलिए प्रारंभ में बेरोजगारी पर विशेष रूप से फोकस नहीं किया गया।इसके पीछे निस्यंदन प्रभाव (trickle down theory) की अवधारणा काम कर रही थी।परंतु बाद के वर्षों में यह महसूस किया गया कि ट्रिकल डाउन थिअरी से समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा,इसलिए बेरोजगारी के लिए स्पष्ट नियोजन आवश्यक है ।उसके बाद से ही सरकार द्वारा बेरोजगारी पर प्रहार करने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम लाए गए। रोजगार देने के लिए सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए रोजगार उपलब्ध कराती है तथा सरकारी प्रतिष्ठानों एवं तंत्र के लिए भी रोजगार उपलब्ध कराती है ।स्वरोजगार के लिए सरकार द्वारा ऋण भी उपलब्ध कराया जाता है तथा कौशल विकास के माध्यम से लोगों को लोगों में स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाता है। रोजगार कार्यक्रमों में मनरेगा का महत्वपूर्ण योगदान है,जिसकी प्रशंसा अंतरराष्ट्रीय संस्था आईएलओ द्वारा भी की गई है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सरकार द्वारा लोगों को रोजगार भी दिया गया है तथा उन्हें प्रशिक्षण के माध्यम से स्वरोजगार के लिए सक्षम करने का प्रयास भी किया गया है। सरकार इस दो तरफा रणनीति के माध्यम से बेरोजगारी को दूर करने का प्रयास कर रही है।
       विशाल जनसंख्या के कारण सरकार द्वारा किए गए उक्त प्रयास नाकाफी सिद्ध हुए हैं। वर्तमान समय के इकोनामिक स्लोडाउन ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है ।अतः इस दिशा में सरकार द्वारा कुछ कठोर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है जिससे रोजगार में वृद्धि की जा सके।

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