गुरुवार, 7 जनवरी 2021

What will I do in improving the quality of education in my institution?

 What will I do in improving the quality off education  in my institution?

     

        शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है। उस के सानिध्य में  युवा पीढ़ी के रूप में अनंत ऊर्जा का स्रोत होता है,जिसे वह जिस रूप में चाहे प्रसारित कर सकता है। इसलिए एक शिक्षक को सदैव सजग,चेतनवत एवं समसामयिक होना चाहिए। गुरु में वह क्षमता होती है जो एक अपराधी को बाल्मीकि जैसा प्रकांड विद्वान बना सकता है। शिक्षक आईना की भांति होता है जिसमें झांककर शिष्य अपना व्यक्तित्व गढ़ता है।शिक्षक रूपी उन्नत शिखर की छांव में छात्र पुष्पित और पल्लवित होता है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित करता रहता है। शिक्षक सभ्यता, संस्कृति,मूल्य, मान्यता एवं ज्ञान का संवाहक होता है।यह गुरुता शिक्षक के समक्ष उत्तरदायित्व की अपेक्षा करता है कि वह अपना चरित्र उन्नत रखे।

         शिक्षक समाज का हिस्सा बनकर मैं स्वयं को धन्य पाता हूं तथा सदैव इस बोध के साथ जीता हूं कि एक शिक्षक के रूप में अपना कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का निर्वहन पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कर सकूं। मैं हंडिया पी.जी. कॉलेज हंडिया, प्रयागराज के अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हूं। मेरा मानना है कि शिक्षक का आचरण छात्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसलिए स्वयं के आचरण के प्रति मैं सदैव सजग रहता हूं तथा छात्रों के बीच अपनी उपस्थिति सादा जीवन उच्च विचार के रूप में रखने की कोशिश करता हूं।'बड़ों का आचरण छोटों के लिए पाठशाला होती है', इसका मैं सदैव ध्यान रखता हूं।

        कोरोना संकट ने अध्ययन अध्यापन की पूरी प्रक्रिया को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। इस संकट ने जहां एक ओर शिक्षण कार्य को प्रभावित किया है तो वहीं दूसरी ओर इसने शिक्षण कार्य में नई विधियों को प्रयोग किए जाने के लिए अवसर भी प्रदान किया है। शिक्षण कार्य को असरदार बनाने के लिए मैं इंफॉर्मेशन और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग करना चाहूंगा। अब वह समय नहीं रहा की कॉलेज की घंटी बजने के साथ ही पढ़ाई का कार्य बंद हो जाए। अब समय आ गया है जब हम आंख बंद करते हैं उसी के साथ ही पढ़ाई की प्रक्रिया भी बंद होती है।यह सब इनफार्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के द्वारा ही संभव हुआ है। आज हम बिना इन तकनीकों के समुचित प्रयोग से समसामयिक अध्ययन अध्यापन का कार्य नहीं कर सकते। विभिन्न प्रकार के सोशल मीडिया के मंच यथा,व्हाट्सएप,फेसबुक,यूट्यूब आदि के माध्यम से ज्ञानवर्धक पाठ्य सामग्री छात्रों तक सुलभ है। आज के भौतिक दूरी के समय में यही मंच मानसिक दूरी को समाप्त करने में सक्षम हुए हैं। इसी के साथ सरकार द्वारा भी कई ऐसे मंच उपलब्ध कराए गए हैं जो भौतिक दूरी के मानदंडों को पूरा करते हुए छात्रों को ज्ञानवर्धक और उपयोगी सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं। epg pathshala, mooc, swayam, Arpit,रेडियो पर प्रसारित ज्ञानवाणी आदि ऐसे ही कुछ प्लेटफार्म है जो आसान एवं सुलभ तरीके से छात्रों के बीच उपलब्ध हैं। इन सब मंचों का शिक्षण कार्य में प्रयोग कर छात्रों को समसामयिक एवं उन्नत ज्ञान प्रदान किया जा सकता है।इन तकनीकों का मैं अपने शिक्षण कार्य में प्रयोग करना चाहूंगा।

          Google forms, Google classroom, Google docs, Google meet, Zoom यह ऐसे ऐप हैं जिनके माध्यम से अध्ययन सामग्री बच्चों तक आसानी से पहुंचाई जा सकती है तथा उनका मूल्यांकन भी किया जा सकता है। मूल्यांकन की जो प्रक्रिया पहले बहुत जटिल हुआ करती थी तथा जिस में बहुत समय लगता था,अब वह इन ऐप के माध्यम से बेहद आसान हो गया है। मैं अपने अध्यापन कार्य में छात्रों के मूल्यांकन को विशेष स्थान देना चाहूंगा जिससे उनकी कमियों एवं उनमें निहित खूबियों का ससमय पता लगाया जा सके और उनको सही मार्गदर्शन दिया जा सके।

         आज हम ऐसे समय में प्रवेश कर गए हैं जहां जिस विषय पर संबंधित जानकारी हमको चाहिए वह एक क्लिक पर हमारे सामने उपलब्ध है। सूचना के जाल में हम एक तरह से घिरे हुए हैं। यद्यपि सूचनाओं का भरमार है,तथापि यह समस्या भी है कि हम कौन सी सूचना ग्रहण करें तथा उससे संबंधित सूचना का स्रोत क्या है?यहां पर शिक्षक के रूप में हम अपनी उपयोगिता को सिद्ध करेंगे तथा सूचना एवं सूचना के स्रोतों से संबंधित जानकारी छात्रों को उपलब्ध कराएंगे।

        शिक्षण संस्थाओं के अन्यान्य उद्देश्यों में से एक प्रमुख उद्देश्य छात्रों के व्यक्तित्व का समग्र विकास करना है।इसके लिए जहां एक ओर अध्ययन अध्यापन एवं मूल्यांकन की एक विधिवत प्रक्रिया है वहीं दूसरी ओर अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों के माध्यम से उनके समग्र व्यक्तित्व विकास का कार्य किया जाता है। गायन, वादन,भाषण, खेलकूद आदि अतिरिक्त शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व का समग्र विकास करने की कोशिश करूंगा। महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अंतर विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाले ऐसे कार्यक्रमों में छात्रों को प्रतिभाग करने के लिए प्रोत्साहित करूंगा। इस प्रकार के कार्यक्रम जहां छात्रों में क्षमता का वर्धन करते हैं वहीं दूसरी ओर क्षेत्रीय एवं सांस्कृतिक,सामाजिक एकीकरण में भी मदद मिलती है।

          छात्रों में शोध क्षमता विकसित करने का प्रयास करूंगा,जिससे वह आगे चलकर सामाजार्थिक समस्याओं पर गहन रूप से चिंतन कर सकें तथा कुछ मौलिक विचार प्रकट कर देश,समाज को लाभान्वित कर सकें। सरकार द्वारा भी इस दिशा में शिक्षकों से विशेष रूप से अपेक्षा किया जा रहा है। आज का युग नवीन ज्ञान एवं नवाचार का युग है। आज वही देश अग्रणी है जो नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी हैं। नवाचार के इसी महत्व को स्वीकार करते हुए मैं छात्रों को इस दिशा में प्रेरित करने का प्रयास करूंगा।

          एक शिक्षक के बहुआयामी कर्तव्य होते हैं।जिसमें अध्ययन अध्यापन के अलावा प्रशासनिक कार्य भी सम्मिलित होता है। मुझे सौपे गए सभी प्रकार के प्रशासनिक कार्य मैं पूरी दक्षता से करने का निरंतर प्रयास करूंगा। सरकार द्वारा या शिक्षा के क्षेत्र में शीर्ष संस्थानों द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयासों से अपने महाविद्यालय को लाभान्वित कराने का प्रयास करूंगा,जिससे छात्रों का हित हो सके। महाविद्यालय के आंतरिक अनुशासन एवं शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास करूंगा। छात्र शिक्षक संवाद अथवा अभिभावक गोष्ठी को संचालित कर शिक्षा केंद्रित वातावरण बनाने का प्रयास करूंगा।

       अंत में,एक बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।इसके लिए मैं अपने सभी सहशिक्षकों, प्रबंधतंत्र एवं अन्य कॉलेज स्टाफ से मदद प्राप्त करने की कोशिश करूंगा।


                                                सधन्यवाद।

         


4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना भईया। येसे ही लेख आज विधार्थी जीवन के लिए बहुत उपयोगी है।

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  2. बहुत बढ़िया सर। शिक्षा क्षेत्र में हो रहे और संभावित इनोवेशन की जानकारी मिली।

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