शनिवार, 4 अप्रैल 2020

राम आसरे का टेस्ट नेगेटिव

              राम आसरे को उसके लक्षणों के आधार पर क्वारांटाइन में रखा गया था। आज उसके कोरोना टेस्ट के रिजल्ट आने की संभावना थी। कोरोना का तो पता नहीं पर मारे डर के उसका गला सूखा जा रहा था। गला सूखने से उसका डर और बढ़ता जा रहा था क्योंकि इस रोग में गला सूखना एक लक्षण था। राम आसरे स्पष्ट महसूस कर रहा था कि उसके हृदय की धड़कने उसके कान में शिफ्ट हो गई हैं।धक धक धक धक उसके सीने के बजाय कान में हो रहा था।
              राम आसरे का दिल बैठा जा रहा था। तभी डॉक्टर कमरे के अंदर प्रवेश किया और राम आसरे को बधाई देते हुए बताया कि उसका रिजल्ट नेगेटिव आया है। राम आसरे प्रसन्न होने के बजाय डर गया। उसे लगा कि उससे कुछ छुपाया जा रहा है। नेगेटिव तो जीवन में कभी भी अच्छा नहीं रहा है, उसने यही सुन रखा था। पिताजी  भी यही कहकर गरियाया करते थे कि एक नंबर का नेगेटिव आदमी है,बेकार है,जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा। इधर उसके डिस्चार्ज किए जाने की तैयारी होने लगी। राम आसरे भयभीत हो गया उसे लगा कि हो ना हो यह लोग उसे जलाने या दफनाने के लिए ले जा रहे हैं।
             राम आसरे हॉस्पिटल में बवाल खड़ा कर दिया। वह जोर जोर से चिल्ला रहा था कि मुझे हॉस्पिटल छोड़कर कहीं नहीं जाना है।सब लोग मुझे मारना चाहते हो।जब मेरा रिजल्ट नेगेटिव आया है तो मुझे बाहर क्यों भेजा जा रहा है। मेरा इलाज करिए मैं कहीं नहीं जाऊंगा। बहुत समझाने के बाद भी राम आसरे अपनी बात पर अड़ा रहा। अंततः पुलिस को बुलाया गया। लाठी के एक ही प्रहार में राम आसरे चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गए और घर पहुंचा दिए गए।
             व्यावहारिक जगत का सत्य सापेक्षिक है। कभी-कभी नेगेटिव होना पॉजिटिव होने से ज्यादा अच्छा होता है। तालाब के किनारे बैठ कर क्षितिज पर ढलते सूर्य को देखते हुए राम आसरे इसी सत्य को महसूस कर रहा था।
             

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